सिन्ध में स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान हुये रूपलो कोल्ही की मूर्ति का अनावरण

सिन्ध में स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान हुये रूपलो कोल्ही की मूर्ति का अनावरण

सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन के 1310वां बलिदान दिवस पर हुआ देशभक्ति कार्यक्रम
प्रतियोगिता के विजेताओ का हुआ सम्मान

अजमेर- 16 जून सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन के 1310वें बलिदान दिवस के अवसर पर सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन स्मारक पर देशभक्ति आधारित कार्यक्रम के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में बलिदान हुये रूपलो कोल्ही की मुर्ति का अनावरण किया गया। समारोह को सम्बोधित करते हुये  पूर्व सांसद श्री ओंकार सिंह जी लखावत ने कार्यक्रम व रूपली कोल्ही का परिचय देते हुये कहा कि तीनों शहीदों की मूर्ति एक साथ स्थापित होने से सिंध व हिंद में कहीं भी ऐसा स्मारक नहीं है। यहां आकर सभी के मन में देशभक्ति का भाव जागृत होता हैं। और बिना सिंध के हिंद अधूरा है। ऐसे ही महापुरुषों में महाराजा के बिना इतिहास की चर्चा अधूरी हैं।
कार्यक्रम में महापौर, नगर निगम अजमेर श्रीमति बृजलता हाडा, उपमहापौर नीरज जैन, विधायक श्रीमति अनीता भदेल व श्री वासुदेव देवनाणी, डाॅ. प्रियशील हाडा, अध्यक्ष, भाजपा, कोली समाज के अध्यक्ष लेखराज व म.द.स. विश्वविद्यालय अजमेर के कुलपति प्रो. अनिल शुक्ला, ने भी विचार प्रकट करते हुये कहा कि युवा पीढ़ी को महाराजा दाहिरसेन, सम्राट पृथ्वीराज चैहान व स्वतंत्रता संग्राम के महापुरुषों के जीवन किताबों के हिस्सा अवश्य बने और हम प्रयास करेगें कि विश्वविद्यालय में इन गौरव के विषय रहे महापुरुषों पर शोध हो। उन्होंने कहा कि पत्थर पर लिखा हुआ इतिहास कभी मिट नहीं सकता।
कार्यक्रम का शुभारंभ स्मारक स्थित हिंगलाज माता पूजन, जगद्गुरू श्रीचन्द्र भगवान की पूजन व सभी महापुरूषों की मूर्तियों पर माल्यापर्ण कर किया गया। महाराजा दाहरसेन मूर्ति पर श्रृद्धासुमन अर्पित करते हुये सिन्ध के मानचित्र पर रक्षा सूत्र भी बांधे गये।
कार्यक्रम में महंत स्वरूपदास जी, ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम व महंत श्री योगी गोवर्धननाथ जी, श्री सोमनाथ महादेव धाम नाथ की बगीची के आर्शीवचन प्राप्त हुये स्वतंत्रता सेनानी श्री शोभाराम गहरवार का भी सम्मान किया गया।
बलिदानी रूपलो कोल्ही के परिवार से ईश्वर रामसिंह ठाकुर कोली, मीरखां कोली सहित समाज के बंधुओं ने रूपलो कोहली के जीवन पर विचार प्रकट किये।
देश भक्ति आधारित कार्यक्रम से माहौल हुआ राष्ट्रमय -
कार्यक्रम का शुभारंभ वन्दे मातरम  मुस्कान कोटवाणी ने किया, लख-लख-शुक्राना....,  प्रियांशी छत्तानी एण्ड ग्रुप सामूहिक नृत्य द्वारा प्रस्तुति दी गई। देशभक्ति युगल नृत्य दुल्हन चली पहन चली तीन रंग की चोली..., वंशिका डालानी व राशिका निहालचंदानी व, हेमूं ते वधयो भारत जो शान प्रियांशी एवं हिमांशी ने कविता, पूनम की प्रस्तुति साजन मेरा उस पार है प्राणरन खां -प्यारो हिन्दुस्तान आ......,प्यार किया दिल वहा हो तु, सिन्ध जो होये सपूत तू-भाविशा, मुस्कान कोटवानी ऐ मेरे वतन के लोगों, हर करम अपना करेंगे...,सिन्धी लेडीज क्लब की निर्मला  लखयाणी व रितू मोतीरमाणी, सिन्ध जिए सिन्ध वारा जियन...., खुशी देवनानी, कलाकार मुकेश कुमार आर्य है प्रीत जहां की रीत सदा गीत यहां के गाता हूं..., ,खुशबु सामनानी, हिमान्शी कंवरानी साक्षा देवनानी, लवन्या तोलानी, दिशा सामनानी व सिन्धु भवन, पंचशील नगर बच्चों ने भी सामूहिक नृत्य पर प्रस्तुतियां दी।

रंग भरो प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मान

रंग भरो प्रतियोगिता में पूज्य सिन्धु पंचायत संस्था पंचशील नगर नेहा मंगवानी, परिधि  रश्मि बदलानी, धोलाभाटा क्षेत्र से यशश्वी रिमझिम देवनानी, जतिन आसनानी, अपेक्षा पिंजलानी, वैशाली झूलेलाल मंदिर लवीना सेवलानी गिुंजन होतचंदानी रिया बच्चानी, नाका मदार (झूलेलाल मंदिर) रोहित रामचन्दानी भावेश रामनानी संजना पागरानी, स्वामी सर्वानन्द विद्यालय भूमिका दरयाणी, निधि मंघाणी,भविष्य खटवाणी, पार्वती उद्यान अजय नगर में जिया वसंतानी, कृष्णा गोयल कुसुम भोजवानी एवं मेडेटेटिव स्कूल, अजय नगर में रितेश तोतवानी, खुशी देवनानी कृतिका शिवदासानी को व पूर्व वर्षों के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।
मंच संचालन दिलीप पारीक व महेश टेकचंदाणी ने किया। जीव सेवा समिति की ओर से मिल्करोज व पानी एवं श्री अमरापुर सेवा घर प्रसाद का वितरण किया गया। पूजा अर्चना ताराचन्द राजपुरोहित व लक्षमणदास दौलताणी ने करवाई।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण समारोह समिति के महेन्द्र कुमार तीर्थाणी व आभार समिति के कवंलप्रकाश किशनानी ने प्रकट किया।
नगर निगम अजमेर, अजमेर विकास प्राधिकरण, पर्यटन विभाग, भारतीय सिन्धु सभा, भारतीय इतिहास संकलन सिन्धु शोधपीठ म.द.स. विश्वविद्यालय, सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन विकास एवं समारोह समिति, अजमेर का सहयोग रहेगा।
कार्यक्रम में शंकर बदलाणी, मोहन तुलस्यिाणी मनीष गुवालाणी, नरेन्द्र बसराणी, प्रकाश मूलचंदाणी, रमेश वलीरामाणी, मुकेश खींची, रमेश मेंघाणी, कमलेश शर्मा, प्रदीप हीरांनंदाणी, नरेन्द्र सोनी, मोहन लालवाणी, राम धनवाणी, शैलेन्द्र परमार, श्याम बाबू वर्मा, विक्रम सिंह, प्रो. अरविंद पारीक, प्रो. राजू शर्मा, चन्द्रभान प्रजापति, दुर्गाप्रसाद शर्मा, प्रकाश जेठरा, जयप्रकाश मंघाणी, प्रकाश मूलचंदाणी, धर्मू पारवाणी, अशोक सहित कार्यकर्ता उपस्थित थे।
 
स्वतंत्रता संग्राम के शहीद
सिन्ध के सपूत रूपलो कोल्ही
स्वतंत्रता संग्राम में शहीद रूपलो कोल्ही का जन्म सिन्ध की महान धरती पर 19वीं सदीं की दूसरी दहाई में धरपारकर जिले के नगरपारकर कोल्ही कबीले में हुआ। बाल्याव्यवस्था से ही शूरवीरता और मातृभूमि के प्रेम की भावना उनमें अन्र्तनिहित थी, उनका पालन पोषण कारूंझर पहाड़ों के कतारों के कबीले की रस्मो के मुताबिक खानदानी हथियारों तीर कमानो, भालो और घातक हथियारों को चलाने की महारत हासिल थी। जवानी में पहाड़ों और भट्टो में कई दरिंदों को मार गिराया वह बहादुर फुर्तीले और सुंदर जवान थे वे अपनी दिलेरी जवागर्दी के कारण अपने कबीले में और दूसरे कबीले में बड़े आदर की नजर सेदेखे जाते थे।
15 अप्रैल 1859 को रूपलो और उनके साथियों ने अंग्रेजों के खिलाफ झंडा बुलंद किया। थरपारकर के इन सुरमों ने नगरपारकर के हेड क्वार्टर पर जोरदार हमला किया टेलीग्राफ के तार तोड़े चारों और रास्ते बंद कर दिए सरकारी खजाने को लूटा अंग्रेज रेजीडेंट जान बचाकर भागे। नगरपारकर के मुख्तियारकार डेयूमल इसकी जानकारी अपने अंगे्रज आकाओं के हैदराबाद में दी। हैदराबाद छावनी के आफिसर कर्नल इयुनिस के प्रतिनिधित्व में थर बलोची में एक विंग नगरपारकर की तरफ रवाना हुई कुछ तोपखाना कराची से रवाना हुआ। उन सभी फौजो की अगवानी कर्नल इयुनिस ने संभाली नगर पारकर हुर्रियत पसंदो को कुचलने के लिए 3 मई 1859 को हमला किया गया। प्यारे वतन सिंध के सिंधियों के पुराने हथियार अंगे्रजो की बंदूको के सामने टिक नहीं सके। इसलिए पहाड़ी किले चंदन गढ़ में बंद हो गए। कर्नल इयुनिस ने कुछ गद्दार सरदारोंकी मदद से चंदन गढ़ किले को तोपो से उड़ा दिया। जहां से कई बहादुर वीरों को गिरफ्तार किया गया और कुछ लोगों ने करूंझर पहाड़ो में जाकर पनाह ली। रूपलो कोल्ही उसके दौरान अपने साथियों को रोटी और खाने के सामान पहुंचाने लगापर किसी गद्ार ने यह जानकारी अंग्रेजों को दी और अंग्रेजों ने रुपलो कोल्ही व अन्य साथियों को घेरकर गिरफ्तार कर लिया।
उनके गिरफ्तारी के बाद उनके हाथों पर तेल डाल कर दिए जलाए गए, प्रताड़ना दी गयी पर वफादार कोल्ही ने फिर भी फिरंगीयो को अपने दूसरे साथियों के बारे में कुछ नहीं बताया। रुपलो को जागीर की लालच भी दी अन्य प्रलोभन दिये गये पर फिर भी उसने अपने साथियों का पता ठिकाना नहीं बताया बाद में रूपलो कोल्ही और उनके साथियों पर बगावत का मुकदमा चलाया गया। वीर देश भक्त को मौत की सजा सुनाई गई। अंग्रेजों का साथ देने वालों को इनाम में जागिरे दी गई। धरती माता के इस सपूत रुपलो कोल्ही को 21 अगस्त 1859 को फांसी दी गई। उनके किए गए किरदार ने उनको हमेशा के लिए अमर कर दिया। ऐसे थे हमारे महान योद्धा, वीर, देशभक्त अंगे्रजो का डटकर मुकाबला किया व अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया।