निष्ठापूर्वक प्रयत्न व कार्य के प्रति लग्नतापूर्वक समर्पण हो तो लक्ष्य आसान

निष्ठापूर्वक प्रयत्न व कार्य के प्रति लग्नतापूर्वक समर्पण हो तो लक्ष्य आसान

महाराजा दाहिरसेन के 1310 वे बलिदान पर श्रद्धांजलि
ब्यावर :- कोई भी कार्य जब तक मन लगाकर व सकारात्मक सोच के साथ न किया जाए तब तक लक्ष्य हासिल नहीं हो सकता। जीवन में अनेक दौर ऐसे आते हैं जब हमें असफलताओं का सामना करना पड़ता है और हम अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं किंतु यदि हम समर्पण भाव से अपने कार्य के प्रति निष्ठा पूर्वक प्रयत्न करें तो सफलता अवश्य मिलेगी.
उक्त विचार सिंधी शिक्षा सागर मित्र कमल सुंदर चचलानी में राजस्थान सिंधी अकादमी जयपुर व ब्यावर सिंधी सेंट्रल समाज द्वारा लगाए गए *अचो त सिंधी सिखूं* शिविर में सिंधुपति सम्राट राजा दाहिरसेन के 1310 वे बलिदान दिवस पर व्यक्त किए।अखंड भारत में धर्म व देश की रक्षा तथा आजादी की संप्रभुता को बचाए रखने के लिए सिंधुपति सम्राट महाराजा दाहिरसेन जैसे पूरे परिवार द्वारा बलिदान देने की गाथा और कहीं नहीं मिलती है ऐसे सपरिवार देश की रक्षा हेतु अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले महाराजा दाहिर सेन को उनके 1310 वे बलिदान दिवस पर शिविरार्थियों ने कोटि-कोटि प्रणाम किया.
श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए श्रीमती भारती ने बताया कि महारानी लाली बाई ने सर्वप्रथम जोहर किया था। महाराजा दाहिरसेन की जीवनी पर विस्तृत प्रकाश रितु टवरानी ने डालते हुए बताया कि महाराजा दाहिरसेन  के बलिदान पश्चात महारानी लाडी बाई व उनकी दोनों पुत्रियां सूर्य कुमारी व परमल देवी ने भी देश रक्षा की खातिर अपने प्राणों की आहुति दी।
कार्यक्रम में भावना खुबानी, श्रीमती वर्षा दुलानी, हर्षा उत्तमचंदानी, रेशमा पुरस्वानी, रमा छतानी, वीना छत्तानी पायल तब रानी नंदनी भोजवानी दीपिका खूबचंदानी मिश्री खुलवाने नेहा दुलानी सिमरन छत्तानी, दामिनी खटनानी , डिंपल तिलोकानी जानवी,भूमि छतानी एकलव्य दुलानी ,कशिश पुरस्वानी ,खुशबू शिवानी आदि ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए