लेखक से मिलिए कार्यक्रम में हरीश बी शर्मा से हुआ संवाद

लेखक से मिलिए कार्यक्रम में हरीश बी शर्मा से हुआ संवाद

सच्चा लेखक है तो उसे अपने इस लोकतांत्रिक अधिकार की रक्षा करनी चाहिए : शर्मा

बीकानेर / सोजत। लेखन का लोकतंत्र इतना भर है कि आप से कोई न तो अपनी मर्जी का लिखवा सके और न लिखने के लिए कोई उकसा सके। अगर कोई सच्चा लेखक है तो उसे अपने इस लोकतांत्रिक अधिकार की रक्षा करनी चाहिए उक्त उद्गार ख्यातनाम वरिष्ठ साहित्यकार व पत्रकार हरीश बी. शर्मा ने शबनम साहित्य समिति सोजत व राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर के संयुक्त सहभागिता में आयोजित लेखक से मिलिए कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार वीरेंद्र लखावत से सृजन संवाद करते हुए व्यक्त किए उन्होंने कहा कि विचार एक सतत प्रक्रिया है, लेकिन रचनात्मक लेखन संवेदना के घनीभूत क्षणों में प्रकट होता हैं। रचनात्मक लेखन कारखाने से नहीं निकल सकता।

उन्होंने कहा कि आप अगर सिर्फ लिखने के लिए लिख रहे है तो आप खुद के साथ ही धोखा कर रहे हैं, विचारो को शब्दो में उकेरना और फिर बार-बार उसको पढ़ना और देखना कि इसमें कुछ नया है तभी मानें कि आपका लेखन साहित्य की श्रेणी में है। नया नहीं तो लिखना अर्थहीन है। विजय आदर्श विद्या मंदिर माध्यमिक विद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम का आगाज मां सरस्वती की पूजा अर्चना के पश्चात किया गया। कार्यक्रम संयोजक सत्तूसिंह भाटी ने संस्था का परिचय व स्वागत भाषण दिया। अतिथि लेखक हरीश बी शर्मा का संस्था अध्यक्ष अब्दुल समद राही व अतिथियों द्वारा शाल माला पहनाकर व चांदी की मोमेंटो प्रदान कर किया गया। शर्मा ने अपनी श्रेष्ठ रचनाओं का वाचन भी किया तथा खुली चर्चा में रसिक श्रोताओं के सवालों के जवाब भी दिए। शर्मा को संस्था द्वारा साहित्य नूर सम्मान की मानद् उपाधी से भी अलंकृत किया गया। कार्यक्रम का सरस संचालन शायर कवि अब्दुल समद राही ने किया व आभार की रस्म कार्यक्रम व्यवस्थापक दिनेश सोलंकी ने अदा की।

 

यह थे अतिथि

 

कार्यक्रम की अध्यक्षता पेंशनर समाज के अध्यक्ष लालचंद मोयल ने की मुख्य अतिथि ब्लॉक शिक्षा अधिकारी नाहर सिंह राठौड़ थे विशिष्ट अतिथि के रूप में प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय देवगढ़ राजदीप सिंह सान्दू, समाजसेवी भामाशाह महेश सोनी पूर्व सीबिईओ बसंत लखावत व्यवसायी उद्योगपति महेंद्र पवार न्यायिक मजिस्ट्रेट सीमा सान्दू नसीराबाद न्यायिक मजिस्ट्रेट हेमलता किशनगढ़ शिक्षाविद राजेश दुलारी सांदू आदि अतिथि थे।

 

यह थे उपस्थित

 

जन कवि कैलाश दान चारण कवि कथाकार रशीद गोरी कवि नवनीत राय रुचिर श्रीमती गायत्री शर्मा अनवर पठान विशन सिंह भाटी उमाशंकर द्विवेदी अब्दुल जावेद सिलावट फौजी अशोक सेन भामाशाह जवरी लाल बोराणा हरीश चंद्र व्यास केदार शर्मा विजय सिंह चौहान हीरालाल आर्य विकास शर्मा शहबाज खान असलम कुरेशी राजेंद्र व्यास कौशल्या देवी गजेंद्र सिंह मफावत  देवानंद श्रीमाली राजेंद्र व्यास कन्हैयालाल पवार धनाराम सोलंकी निर्मल भाटी कुणाल शर्मा नवीन सोलंकी युवराज सुनील सोलंकी आदि गणमान्य जन उपस्थित थे।