भाषा और कानून का संगम: भारती ठाकुर, बनी सिंधी भाषा की रक्षक

भाषा और कानून का संगम: भारती ठाकुर, बनी सिंधी भाषा की रक्षक

जयपुर-भारतीय सविधान की 8वीं अनुसूची में सिंधी भाषा को शामिल किए जाने का 56वां वर्ष मनाते हुए, हम एक ऐसी महिला पुलिस अधिकारी, भारती ठाकुर, का परिचय कराते हैं जो सिंधी भाषा के संरक्षण और पुलिस में इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास कर रही हैं।

10 अप्रैल 1967 को सिंधी भाषा को भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किया गया था।भारती ठाकुर सिंधी समाज से आने वाली एक महिला पुलिस निरीक्षक हैं जो सिंधी भाषा को पुलिस में उपयोगी बनाने के लिए योगदान दे रही हैं।वे पिछले 8 वर्षों से जयपुर की  प्रशिक्षण अकादमी में पुलिस अधिकारियों को सिंधी भाषा सिखा रही हैं।
राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में सिंधी भाषी लोगो की अधिकता व पुलिस के सामाजिक सरोकारों में भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से पुलिस  विभाग सीमावर्ती इलाकों में कार्यरत अधिकारियो को सिंधी भाषा सिखाने के लिये विभाग ने महिला निरीक्षक भारती ठाकुर का चयन किया।

 पुलिस में योगदान

भारती ठाकुर 1996 में ASI के रूप में पुलिस में शामिल हुई थीं। उन्होंने 17 वर्ष तक राजस्थान के मुख्यमंत्रियों की सुरक्षा में भी कार्य किया है।

नव नियुक्त पुलिस प्रशिक्षुओं के लिए उन्होंने निम्नलिखित पुस्तकें लिखी हैं: 

  1. पुलिस में intelligence का महत्व
  2. पुलिस में व्यक्ति की सुरक्षा का महत्व
  3. पुलिस के लिए सिंधी भाषा में वाक्य लेखन

शिक्षा और सम्मान:

भारती ठाकुर ने समाजशास्त्र (M.A.), मानवाधिकार (M.A.) और पुलिस स्टडी (M.A.) में शिक्षा प्राप्त की है।

उन्हें वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी द्वारा सम्मानित किया गया है।

उन्होंने शिल्प सर्जन संस्था (NGO) के साथ मिलकर जवाहर नगर की कच्ची बस्ती की बालिकाओं को "गुड टच" और "बेड टच" के बारे में जागरूक किया है।उन्हें राजस्थान वीमेन अचीवमेंट अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है।

भारती ठाकुर सिंधी भाषा की रक्षक और पुलिस अधिकारी दोनों हैं। उनका समर्पण और योगदान सिंधी भाषा को जीवित रखने और पुलिस में इसके उपयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।