भाषा जीवित तो वजूद कायम

भाषा जीवित तो वजूद कायम

मातृभाषा को बचाने का दायित्व माता पर

ब्यावर :- भाषा जीवित रहने पर ही  *"अपना वजूद"* कायम रहेगा, बिन भाषा, सभ्यता,रहन- सहन, खान-पान के अस्तित्व ही  मिट जाता है कई जातियां लुप्त हो गई व कई लुप्त होने की कगार पर है| उक्त वीचार सिन्धी सांस्कृतिक सखी संगत द्वारा पूज्य श्री झूलेलाल मंदिर नंद नगर में आज आयोजित सिन्धी भाषा के भारतीय संविधान में मान्यता मिलने के 56 वे दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में सिन्धी शिक्षा  मित्र  कमल सुन्दर चचलानी ने व्यक्त किये.
श्री चचलानी ने यह भी कहा कि जिस प्रकार घर के बुजुर्ग अपनी संपत्ति को अपनी संतान के पक्ष में हस्तांतरित करते हैं उसी प्रकार भाषा के उत्थान के लिए भी हमें यह परम्परा निभानी पड़ेगी..
कार्यक्रम का शुभारंभ इष्टदेव पूज्य श्री झूलेलाल जी व सिंध के नक्शे की छवि पर माल्यार्पण व समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया. स्वागत सम्बोधन एस -4 की अध्यक्षा श्रीमती भारती उतवानी ने दिया. प्रो.अर्जुन  कृपलानी ने कहा कि किसी भी भाषा को बचाने मैं सबले बड़ा दायित्व माता का होता है वही बच्चे की प्राथमिक पाठशाला भी है.
सिन्धी समाज के पूर्व अध्यक्ष व भारतीय सिंधु सभा के जिला उपाध्यक्ष लक्ष्मण दास जी गुरनानी ने कहा कि कोई भी वृक्ष तब तक लम्बी आयु जी सकता है जिसकी जड़े मजबूत हो. कार्यक्रम में  *पहिंजो वज़ूद* विषय पर आशुभाषण प्रतियोगिता भी रखी गई जिसमें दिलीप खत्री, कंचन दिलीप ज्ञानचंदानी,  श्रीमती भारती गिदवानी व पूजा कांजानी ने सक्षक्त तरीके से अपने विचार प्रकट किये.सिन्धी भाषा मान्यता दिवस के अवसर पर नन्हे बच्चो वंशिका आसवानी,  खुशी भोजवानी, निहारिका कौरानी दिव्यांशी सोनी, परी चंदवानी, वैष्णवी बाबानी, याशिका खत्री, खुशबु शिवानी व हीना खत्री ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया तथा पूजा कांजानी व हर्षा उतमचंदानी के निर्देशन में *सिन्धीयत वधे* नाटक का मंचन किया गया जिसमें प्रियांशी दासानी,  मोहित खटनानी, भविष्य खटनानी,खुशी लालवानी, पायल मंगलानी आदि ने बेहतरीन प्रस्तुति दी. समारोह में थाणे मुम्बई के 92 वर्षीय लेखक  *श्री भोजराज एन खेमाणी "क्रान्ति"* की पुस्तक *सिन्धीयत ज़िन्दहबाद*  का लोकार्पण ब्यावर सहित 45 शहरों में किया गया.  रिद्धिमा व कशिश पुरस्वानी ने सिन्धी अबाणी बोली गीत पेश किया जिस पर उपस्थित जन नाचे बिना नहीं रह सके. सांकृतिक प्रस्तुतियां देने वाले बाल कलाकारों के अलावा हर्षा उतमचंदानी, श्रीमती वर्षा डूलानी, पूजा कांजानी व रेशमा पुरस्वानी को भी स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया.समारोह में सिन्धी सांस्कृतिक सखी संगत की  श्रीमती भारती उतवानी, श्रीमती भारती गिदवानी, श्रीमती मीना गुरनानी, श्रीमती पुष्पा चचलानी,  श्रीमती मघु हेमलानी, श्रीमती चन्द्रा वाधवानी, श्रीमती अंजलि डेटानी, भगवन्ती गिदवानी,पूर्व पार्षद देवीदास सोनी, मनीष डूलानी, माधव दास उतवानी,  दादी देवी बाई सोनी 'अम्मां' माया आसवानी सहित अनेक समाज बंधु उपस्थित थे.कार्यक्रम में सिंधीयत मशाल प्रज्वलित कर नन्हे मुन्हे बच्चो (आने वाला भविष्य ) के हाथो में सौंपी गई व घर में अपने बच्चो से मातृभाषा में ही बोलने की प्रतिज्ञा करवाई गई. अंत में श्रीमती भारती गिदवानी ने उपस्थिति जनो का आभार प्रकट किया.