जोधपुर के सिन्धी भाषी साहित्यकारों का हिंदी में योगदान
-राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा ‘पांडुलिपि प्रकाशन योजना’ के अंतर्गत जोधपुर के दो सिंधी साहित्यकारों की पांडुलिपियों का चयन किया गया है।
साहित्य और साहित्यकार किसी एक दायरे में सिमट कर बंधे नहीं रह सकते ये साबित किया है जोधपुर के वरिष्ठ साहित्यकार ,रंगकर्मी हरीश देवनानी और युवा गीतकार दिलीप केसानी ने. दोनों मूलत सिन्धी है और दोनों का योगदान जितना सिन्धी भाषा में है उतना ही हिंदी भाषा के लिए भी रहा है.
हाल ही में राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा ‘पांडुलिपि प्रकाशन योजना’ के अंतर्गत राजस्थान से कुल 121 पांडुलिपियों का चयन किया गया जिस में जोधपुर से छ: साहित्यकारों का चयन किया गया है। काव्य विधा के लिए नीता छिब्बर, आराधना जोशी, दिलिप केसानी. कथा विधा के लिए: हंसा विश्नोई, विविध विधा के लिए: कैलासदान लालस और घनश्याम दास देवनानी उर्फ हरीश देवनानी की पांडुलिपियों का चयन हुआ है।
सिन्धी कल्चरल सुसयिटी के अध्यक्ष गोविन्द कर्मचंदानी ने बताया कि ये हमारी संस्था और समस्त सिन्धी समाज के लिए गर्व की बात है कि जोधपुर के सिन्धी लेखक हिंदी भाषा में भी अपना पूरा योगदान दे रहे है, इस से पूर्व दिलीप केसानी की सिन्धी पाण्डुलिपि का चयन राजस्थान सिन्धी अकादमी ने भी किया था.