कोटा के डॉ रामचंदानी के शोध पत्रों को अन्तर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में मिली सराहना

कोटा 25 अक्टूबर। टाइप वन मधुमेह के लिए कार्यरत अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर पीडियाट्रिक एंड एडोलोसेन्ट (ISPAD) की ओर से रॉटरडैम, नीदरलैंड में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में कोटा के डायबेटोलॉजिस्ट डॉ जी डी रामचंदानी के " डिअर मॉम्स "(DEAR MOMS/प्यारी मां) सहित प्रस्तुत किए गए चार शोध पत्रों को सराहना मिली है ।
कॉन्फ्रेंस में विश्व के 1500 डायबेटोलॉजिस्ट ने भाग लिया जिनके एक या दो शोध पत्र शामिल हुए, केवल कोटा से डायबेटोलॉजिस्ट डॉ जी डी रामचंदानी के चार शोध पत्र ,उनकी अभिनवता के कारण प्रस्तुति का अवसर पा सके।
रॉटरडैम, नीदरलैंड से लौटे डायबेटोलॉजिस्ट डॉ जी डी रामचंदानी ने बताया कि डिअर मॉम्स "(DEAR MOMS/प्यारी मां) टाइप वन मधुमेह से आने वाली समस्याओं को परिवारजन कैसे सुलझाएं इसको ध्यान में रखकर ऐसी माताओं को प्रशिक्षित किया गया जिनके छोटे बच्चों को टाइप वन मधुमेह है ।
ये माताएं अन्य परिवारों को जिनके बच्चों को
टाइप वन मधुमेह है सलाह देती हैं और उनकी मदद करती हैं जिसमें कोटा का केंद्र रामचंदानी डायबिटिक केयर एंड रिसर्च सेंटर उनका साथ देता है । अन्य तीन शोध पत्र पिछले छह सालों के अनुभव पर और कुछ खास मामलों पर किए गए कार्य पर आधारित थे ।
उन्होंने बताया किरामचंदानी डायबिटिक केयर एंड रिसर्च सेंटरअंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर पीडियाट्रिक एंड एडोलोसेन्ट (ISPAD) का कोटा में एक मात्र रेफेरेंस सेंटर है जो पिछले 15 वर्षों से कार्य कर रहा है ।
डॉ रामचंदानी ने बताया कि कोटा में टाइप वन के साढ़े चार सौ बच्चों को परामर्श,इन्सुलिन किट व अन्य सुविधाएं रामचंदानी डायबिटिक केयर एंड रिसर्च सेंटर की ओर से निःशुल्क दी जा रही हैं ।