सिन्धी साहित्य में पर्यावरण का जिक्र और फ़िक्र पर राष्ट्रीय परिसंवाद , कोटा से रतनानी की प्रस्तुति

सिन्धी साहित्य में पर्यावरण का जिक्र और फ़िक्र पर राष्ट्रीय परिसंवाद , कोटा से रतनानी की प्रस्तुति

कोटा 01 दिसम्बर। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत कार्यरत केंद्रीय साहित्य अकादेमी द्वारा  सिन्धी साहित्य में पर्यावरण का जिक्र और फ़िक्र पर   आयोजित राष्ट्रीय परिसंवाद  में कोटा के वरिष्ठ साहित्यकार किशन रतनानी  ने "सिन्धी कथात्मक साहित्य (कहानी/नॉवल) में पर्यावरण संदर्भ " पर पत्र वाचन प्रस्तुत किया। रतनानी ने अपने पत्र वाचन में  इस तथ्य को रेखांकित किया है कि पर्यावरण से जुड़े सभी पहलुओं पर,प्रदूषित होते माहौल पर और पर्यावरण के संवर्धन के प्रयासों पर सिन्धी कहानियों, उपन्यासों और बाल साहित्य में बहुत उल्लेख मिलते हैं।
साहित्य अकादेमी में सिंधी भाषा के संयोजक मोहन हिमतानी की अद्यक्षता में आयोजित उदघाटन सत्र में जाने माने पर्यावरण विशेषज्ञ मनोहर खुशलानी ने भूजल के शुद्धिकरण और वर्षा जल संचयन के महत्व को रेखांकित करते हुए इन विषयों पर सिंधी साहित्य के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। 
सत्रों की अद्यक्षता करते हुए मोहन हिमतानी और मोहिनी हिंगोरानी  ने  की ,उन्होंने कहा कि सिन्धी कविता , गजल ,  सिंधी कहानी, नॉविल ,सफरनामा और आत्मकथाओं में पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियों को मानवीय चिंतन के साथ जोड़कर ,संदेश देने और सुधार की संभावनाओं की चर्चा की गई है ,जिसमें  कई सिन्धी कहानियों, उपन्यासों, कविताओं और आत्मकथाओं का विवरण और उद्धरण शामिल किए गए थे ।
जवाहर बोलवानी और मनोज चावला ने सिंधी कविता में पर्यावरण और दीक्षता अजवानी  ने सिन्धी नॉन फिक्शन पर अपने अनुभव सुनाए । दिव्या धनवानी ने इसी विषय पर अपनी कविताओं का पाठ किया ।
 साहित्य अकादेमी के उप सचिव कृष्णा  रविन्द्र किंबहुने ने सभी सत्रों का संचालन करते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ी और युवा साहित्यकार इस विषय के विभिन्न पहलुओं को साहित्य में शामिल करके नए मुकाम हासिल करेंगे ।