शहादत दिवस पर दीप जला कर अर्पित की श्रद्धाजंली
संत एक अद्भुत व्यक्तित्व कृतित्व से भरे-पुरे होते हैं जो अपने जीवन में अर्जित ज्ञान, तपस्या, साधनामय शरीर समाज और उसके जरुरतमंद हिस्सों को समर्पित करना ही जीवन का लक्ष्य मानते हैं। ऐसे ही सिन्धी समाज के एक संत अखंड भारत के सिन्ध प्रान्त में प्रतिष्ठित रहे हैं, जिनका नाम हैं सिन्ध के सरताज ग़रीबों के मसीहा अमर शहीद संत शिरोमणि “भगत कँवरराम साहिब”।*
*विश्व सिन्धी सेवा संगम के अंतर्राष्ट्रीय सचिव सुरेश कुमार थदानी ने बताया कि आज 01 नवम्बर को उनके 82वे शहादत दिवस पर सिन्धी समाज द्वारा अपने - अपने घरों पर दीपक जला कर मानवता के लिए दी गई उनकी शहादत को भावभीनी श्रद्धाजंली अर्पित की गई। ट्रेन में सफ़र कर रहे भगत कँवरराम साहिब को 01 नवम्बर 1939 को आताताईयों द्वारा रुक्कण (सिन्ध प्रान्त, वर्तमान पाकिस्तान) स्टेशन पर गोली मारकर शहीद कर दिया गया था।
उनका प्रसिद्ध भक्ति गीत
“नाले अलख़ ज़े बेड़ो तारि मुहिंजो”
आज भी सिन्धी समाज द्वारा बड़ी ही शिद्दत के साथ गाया जाता है।
साभार सुरेश थदानी