हरीश करमचंदाणी के सिंधी कविता संग्रह का लोकार्पण
सिंधी और हिंदी के कवि हरीश करमचंदाणी के सिंधी में हाल ही प्रकाशित कविताओं के संग्रह 'गुम थियल टहिक' का दिल्ली में वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुंदर अगनाणी और कवि व आलोचक श्री मोहन गेहाणी ने एक आत्मीय और अनौपचारिक कार्यक्रम में लोकार्पण किया।श्री गेहाणी ने इस अवसर पर अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि ये कविताएं जहाँ आज व्यक्ति और समाज से जुड़े विषयों पर केंद्रित हैं वहीं अपनी लोक विरासत और काव्य परम्पराओं के प्रति कवि की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करती है।कवि हरीश करमचंदाणी ने अपनी हिंदी कविताओं के सिंधी रूपांतर "इहा दुनिया"का सिंधी लिपि में अनुदित खण्ड जो श्री अगनाणी को समर्पित है,को भी उन्हें भेंट किया। इस अवसर पर अखिल भारत सिंधी बोली ऐं साहित सभा केअध्यक्ष श्री शम्भू जयसिंघाणी तथा सिंधी भाषा व लिपि के प्रसार के लिये सक्रियता से कार्यरत श्रीमती आशा चाँद भी मौजूद थी।