सिन्ध भारत का अविभाज्य अंग है-लखावत
सिन्ध, सिन्धु घाटी, सिन्धु नदी हिन्दुस्तानी सभ्यता संस्कृति और दर्शन की पवित्र स्थली है इसलिये सिन्ध भारत का अविभाज्य अंग है-लखावत
महाराजा दाहरसेन के 1310वें बलिदान दिवस पर हुई आनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी
अजमेर 12 जून। सिन्ध, सिन्धु घाटी, सिन्धु नदी हिन्दुस्तानी सभ्यता संस्कृति और दर्शन की पवित्र स्थली है और इसलिये सिन्ध भारत का अविभाज्य अंग है। पूर्व सांसद एवं राजस्थान धरोहर संरक्षण प्रौन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे आंेकारसिंह लखावत ने महाराजा दाहरसेन व सिन्ध के महापुरूष स्मृति आॅनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी को सम्बांेधित करते हुये उक्त बात कही।
श्री लखावत ने कहा कि विश्व को सबसे पहली सभ्यता देने वाले सिन्ध को हम कैसे भूल सकते हैं। श्री लखावत ने कहा कि सारी दुनिया को सभ्यता की जीवन पद्धति भारत देश को सिखाई। भगवान राम के छोटे भाई भरत ने जिस सिन्ध पर शासन किया और विजय प्राप्त कर अपने पुत्र तक्ष के नाम तक्षशीला शिक्षा केन्द्र का शुभारंभ किया वह आज भी हमारे मन मस्तिष्क में बसा हुआ है। सप्त सिन्धु प्रदेश हमारा प्रारम्भिक स्थल रहा है सिन्धी भाषा केवल सिन्ध तक सीमित नहीं थी अपितु प्राचीनकाल में ग्रीस और इजिप्ट तक प्रचलित थी। अर्बुद्ध यज्ञ में देवताओं ने सिन्धु को स्मरण किया मीरपुर का प्राचीनत ब्रहमा मन्दिर और मीरपुर खास व टण्डो के बौद्ध स्तुप्त भी आज हमको प्रेरणा देती है। श्री लखावत ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में स्वांतत्र वीर हेमू कालाणी, राणा रतन सिंह, रूपला कोल्ही का बलिदान हमें हमेशा प्रेरित करता रहेगा।
सेवानिवृत्त प्रोफेसर पर्यावरण विज्ञान विभाग, सर्वगुजा विश्वविद्यालय छत्तीसगढ के प्रो. मधुर मोहन रंगा राजा दाहरसेन की तार्मिक कौशलता व कुटनीति पर प्रकाश डाला।
सेवानिवृत्त प्रोफेसर अलीगढ़ मुस्लिम वि.वि. के प्रो. बी.एल. बाधानी ने दाहरसेन का सैन्य बल व प्रशासन पर जानकारी दी
सेवानिवृत्त प्रोफेसर इतिहास जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर, प्रो. एस.पी. व्यास ने राजा दाहरसेन का साम्राज्य राजनीति व सामाजिक जीवन पर जानकारियां उपलब्ध कराई।
प्रोफेसर म.द.स.विश्वविद्यालय, अजमेर, पूर्व निदेशक सिन्धु शोधपीठ प्रो. लक्ष्मी ठाकुर ने महाराजा दाहरसेन की पत्नी लाडी बाई के जौहर व उनकी पुत्रियों सूर्य कुमारी व परमाल के जीवन व बलिदान पर प्रकाश डाला।
भारतीय इतिहास संकल्न के सचिव डाॅ. हरीश बेरी ने इतिहास के विद्यार्थियों को महाराजा दाहरसेन के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
भारतीय सिंधु सभा के राष्ट्रीय मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थानी ने स्मारक की जानकारी उपलब्ध कराते हुए समारोह समिति द्वारा किये जाने वाले कार्यक्रमों को विस्तार से बताया।
कार्यक्रम का संचालन कंवल प्रकाश किशनानी करते हुए कहा कि सिंध के बगैर हिन्द की परिकल्पना बेमानी होगी, हम सब मिलकर अखंड भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए संकल्पबद्ध हो। सिंधी सभ्यता व संस्कृति व भाषा को संजोकर रखे।
इस संगोष्ठी में नगर निगम अजमेर, अजमेर विकास प्राधिकरण, पर्यटन विभाग, भारतीय सिन्धु सभा, भारतीय इतिहास संकलन सिन्धु शोधपीठ म.द.स. विश्वविद्यालय, सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन विकास एवं समारोह समिति, अजमेर का सहयोग रहा।
मुख्य कार्यक्रम 16 जून 2022 सायं 5ः30 बजे सिंधुपति दाहरसेन स्मारक, हरीभाऊ उपाध्याय नगर में 1310वें बलिदान दिवस, स्मारक के रजत जयंती वर्ष तथा स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान हुये रूपलो कोल्ही के प्रतिमा अनावरण के साथ देशभक्ति सांस्कृतिक एवं श्रद्धांजलि कार्यक्रम में बच्चों को पुरस्कृत कर सम्मानित किया जाएगा।