सेवा कार्य व सांस्कृतिक कार्यक्रम कर मनाया प्रो. राम पंजवानी का जन्मोत्सव
दादा हूंदराज दुखायल को किया नमन
ब्यावर :- 14 अगस्त 1947 के विभाजन की त्रासदी झेलते हुए सिन्धी समुदाय को पुन: एक माला में पिरोने का कार्य करने वाले पद्म श्री प्रो. दादा राम पंजवानी का 111 वाँ (20/11/1911) जन्मोत्सव सिन्धी शिक्षा शागिर्द मित्र संस्था द्वारा स्थानीय नंद नगर स्थित पूज्य श्री झूलेलाल मंदिर में धूमधाम से मनाया गया |
संस्था की सुहानी राजेश वसंदानी ने जानकारी देते हुए बताया कि.बिखरे हुए समाज को जोड़ने वालै सिन्धी एकता के पक्षधर थे, राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद दिल्ली व भारतीय सिंधु सभा राजस्थान द्वारा संचालित कक्षा (ग्रुप 6) की छात्रा दीक्षा छत्तानी ने प्रो. राम पंजवानी का जीवन परिचय दिया.
संस्था की विधी दीपक लालवानी ने बताया कि शिक्षाविद, साहित्यकार, गीतकार, नाटककार, कलाकार व निर्देशन आदि सर्वगुण सम्पन्न श्री पंजवानी जी के रचित गीतो पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम रखा गया जिसमें रेशमा पुरस्वानी ने "चूम ही नहीं जूं ही नहीं लाल उडेरा चूम ही आहीं, योगिता चतरानी ने "सिक में ओ सिक में" कशिश पुरस्वानी ने "पार पुजा_ईन्दो ,अर्जु अघाईन्दो", नेहा कृपलानी ने "अलाए जे छा में राज़ी आ" पायल टवरानी ने "मुहिंजी बेड़ी अथई विच सीर ते... " खुशी मूरझानी ने "मुहिंजा लाल सांई" रिद्धि पुरस्वानी ने भी सुमधुर गीतों की प्रस्तुति दी.कार्यक्रम का संचालन कमल सुन्दर चचलानी ने किया |
सिन्धी शिक्षा शागिर्द मित्र संस्था की महक फतनानी ने बताया कि स्वतन्त्रता सैनानी ,कवि "दादा हून्दराज दुखायल"को आज उनकी 18 वी पुण्यतिथि पर कार्यक्रम में श्रदासुमन अर्पित किये गए, दादा दुखायल की जीवनी पर रितु टवरानी ने प्रकाश डाला,
सिन्धी सर्टीफिकेट /डिप्लोमा कोर्स के सुपरवाइज़र दिलीप ज्ञानचंदानी ने बताया कि राम पंजवानी जी के 111 वे जन्मोत्सव उपलक्ष्य में स्थानीय मसूदा रोड स्थित गौशाला में गायों को हरा चारा व गुड़ खिलाकर सेवा की गई.इस अवसर पर भावना रवि खूबानी, महक फतनानी, दीपिका टवरानी, रमा नरेश छत्तानी, भूमि, यक्ष - दीक्षा चतरानी,लविना थावानी, लविश चतरानी, नेहा - एकलव्य डूलानी, नव्या चचलानी, हर्षा उतमचन्दानी ,मीनाक्षी छत्तानी, मोना बदलानी, भूमि छत्तानी ,मुस्कान पुरस्वानी, साक्षी, लीना, रितु टवरानी सहित अनेक समाजजन उपस्थित थे .