सिंधी समाज को पंथो में भटकाना स्वीकार नहींः महामंडलेश्वर हंसराम महाराज

सिंधी समाज को पंथो में भटकाना स्वीकार नहींः  महामंडलेश्वर हंसराम महाराज

दरबारों में रखेंगे सनातन ग्रन्थ संकलन, सिंधी समाज बनाए राजनीतिक दल 

अमरावती ( महाराष्ट्र ) में हुए अखिल भारतीय सिंधु संत समाज ट्रस्ट के दो दिवसीय धर्म सम्मेलन के पश्चात् महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन जो सामूहिक जनेऊ संस्कार के कार्यक्रम में संत हिरदाराम नगर ( मध्यप्रदेश ) में पधारे हुए हैं , आज उन्होंने पत्रकारों के साथ प्रेस कांफ्रेंस में उन्हें संबोधित किया । सम्मेलन में संतों द्वारा लिये गये सिंधी आदि ग्रंथ के संकलन के बड़े फ़ैसले की विस्तृत जानकारी देते हुए महामण्डलेश्वर जी ने पत्रकारों को अनेक बातों कि जानकारी भी दी । 

उन्होंने बताया : 
सिंधु घाटी सभ्यता सबसे प्राचीन सभ्यता है तथा सिंधी समाज उसका अंश है। हम सबसे पुराने सनातनी हैं लेकिन आजादी के बाद से समाज को पंथो में भटकाने का काम हो रहा है, एक तरह से यह धर्मांतरण है, जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। सिंधी दरबारों से गुरूग्रन्थ साहिब की विदाई के बाद अब सनातन ग्रन्थ संकलन रखा जाएगा, जिसे आठ दस माह में तैयार कर लिया जाएगा। 

संत वासुराम दरबार में सामूहिक जनेऊ कार्यक्रम में सत्संग करने यहां आए थे। यहां आयोजित पत्रकार वार्ता में आपने कहा कि आदिकाल से सिंधी सनातनी है, सिंधु नदी जहां चारों वेद लिखे गए, उन सिंधियों को नानकपंथी कहा जाए, वह हमें बर्दाश्त नहीं है। उन्होंने कहा कि यह केवल सिंधी समाज के साथ ही नहीं समस्त सनातनी समाज को भटकाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसे कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा, उनकी बनाई मर्यादाओं को हम अपने पर कतई थोपने नहीं देंगे।

 जन जागरण अभियान जारी 
महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन ने कहा कि सिंधियों के अलावा समस्त सनातनियों को जागरूक करने का उनका अभियान लगातार जारी है। हाल ही में उन्होंने अमरावती में सम्मेलन किया, भोपाल के बाद वे अब मुम्बई जा रहे हैं और 31 मार्च को भोपाल के भेल ग्राऊंड पर सिंधियों के जमावड़े में भी शामिल होंगे। इसके अलावा वे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से भी इस विषय पर अकेले में चर्चा के लिए समय मांगेगे ताकि हिन्दुओं को शक्तिशाली व संगठित बनाया जा सके। 

 सिंध को मिलाएं हिंद में 
जब महामंडलेश्वर से पूछा गया कि पाकिस्तान के सिंध प्रदेश में हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहे हैं, तब उन्होंनें कहा कि भारत सरकार को सिंध प्रदेश को ही हिन्दुस्तान में मिला देना चाहिए । हम वहां के सिंधियों को यहां नहीं लाएंगे बल्कि प्रदेश ही अलग बनाएंगे। उन्होंने कहा कि सिंधी समाज एक ऐसा समाज है जिसने धर्म एवं देश की खातिर अपनी जन्म स्थली कुर्बान कर 
दी इसलिए हमें अपना प्रदेश चाहिए।

 सिंधी बनाएं राजनीतिक दल 
सिंधियों से अपने अधिकारों की रक्षा एवं अपने हक के लिए अलग से राजनीतिक दल बनाने का आव्हान किया और कहा कि उसमें अखिल भारतीय  सिंधु संत समाज पूरा समर्थन करेगा। महामंडलेश्वर ने यह भी मांग की कि जहां पांच हजार सिंधी परिवार हैं, वहां पार्षद, विधायक एवं सांसद की टिकट सिंधी भाषी को दी जाए। महामंडलेश्वर ने कहा कि अगर पृथक सिंधी प्रदेश होता तो दस बीस सांसद, सौ दो सौ विधायक होते, हमारी आवाज सुनी जाती लेकिन हमारे साथ छल हुआ जो अलग प्रदेश नहीं बना, इसलिए राजनीतिक दल का बनना बहुत जरूरी है।

इसके अलावा स्वामी जी ने मीडिया को भी जागरूक रहने को कहा । क्योंकि मीडिया एक ऐसा माध्यम है जो हमारे समाज की आवाज़ ऊपर तक पहुँचा सकते हैं । उन्होंने खेद एवं रोष जताया कि पिछले कुछ महीनों से सिंधियों के साथ हुए इतने बड़े घटनाक्रम को आज तक किसी नेशनल न्यूज़ चैनल ने कवर नहीं किया है ।