सिंधी समुदाय का होली पर्व

सिंधी समुदाय का होली पर्व

होली के सतरंगी त्योहार को अलग-अलग समाज अपने रिवाजों से मनाते हैं। 
हर समाज में पारंपरिक रूप से होलिका दहन पर प्रसाद व पकवान तैयार किए जाते है।
आइए जानते हैं सिंधी समाज कैसे मनाता है होली का पर्व -

सिंधी समुदाय में होली की तैयारियां फागुन महीने से शुरू हो जाती है। होली पूर्णिमा पर
सिंधी संप्रदाय में गाय के सूखे हुए  उपोलो (छेणों) से घर के आंगन अथवा बगिया में छोटी होलिका बनाई जाती है।

शुभ महुर्त पर अपने कुल ब्राह्मणों अथवा मोहल्ले के होलिका दहन से आग का एक टुकड़ा लाकर अपने घर की छोटी होली को फूंक फूंक कर सुलगाते है।

प्राचीन परंपरा अनुसार घर के प्रत्येक सदस्य के लिए एक आटे व गुड़ मिश्रित मीठी रोटी, जिसे सिंधी समाज *रोट*  कहते है पर धागा लपेट कर इसे घरआंगन मे बनी गोबर के कंडोे की धूनी पर सेका जाता है। 

महिलाएं जलती धूनी में घर में बने पकवान एवं अन्न  आदि का   अर्पण करते हुए गाती हैं -

*होलिका माता कजांइ कुल जी खैर,*
*टिन वर्णन जो खैर,*
*देस परदेस जी रख्या कजांइ*
*सभिनी खे वधाईजांइ - विझाईजांइ।*
अर्थात होली का माता सबका भला करना सभी को सुख समृद्धि प्रदान करना।

विशेष बात यह है कि मीठी रोटीयां सिक जाती है और कंडें भी राख हो जाते है, परंतु रोटी पर लिपटा धागा नहीं जलता है।
इसे लेकर मान्यता है कि रोटी पर लिपटा धागा प्रहलाद का प्रतीक है और कंडा होलिका का। होलिका जल जाती है लेकिन प्रहलाद बच जाते हैं।

प्रार्थना के पश्चात धूनी में पकाई रोटीयोंं का प्रसाद सबको बांटा जाता है एवं धूनी की राख को ठंडी होने पर घर के समस्त हिस्सों में छिड़क दिया जाता है।
इस प्रकार होलिका दहन की परंपरा के साथ दूसरे दिन धुलंडी अथवा *धूड़ियो* मनाया जाता है।
धूड़ियो इस लिए कहा जाता है, क्योंकि इस दिन प्राकृतिक रूप से धूल उड़ती है।
सिंधी समुदाय में होली के अवसर पर हर घर में घीयर पकोडे व ठंडाई आदि खाद्य सामग्री से अतिथियों का सत्कार करने की परंपरा रही है।

साथ ही सिंधी समुदाय अपने परंपरागत रिवाज़ अनुसार शादीशुदा बेटियों एवं बहनों के घरोंं में होली की खास मिठाई  घीयर व अन्य सामग्री 'डि॒ण ' के रूप में ज़रूर भिजवाता है।

सिंधी समाज के बड़े बुजुर्गों का मानना है की होली त्योहार मनाने से आपसी कटुता व वैर की भावना का नाश होता है एवंं प्रेम व सद्भावना बढ़ती है। पूजुय पंचायतो एवं संस्थाओं द्वारा  होली मिलन समारोह व फाग उत्सव जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते है।

इस साल कोरोना वाइरस रूपी होलिका राक्षसी के दहन का लेवें संकल्प और सांकेतिक रूप से करें अग्नि में भस्म ।

'होली की हार्दिक शुभकामनाएं !'

लेखिका -
'रोमा चांदवानी 'आशा'