हरी शेवा उदासीन आश्रम के सतगुरु बाबा हरीराम साहब का 153वां प्राकट्य उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया
भीलवाड़ा। हरी शेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर भीलवाड़ा के आराध्य सतगुरु बाबा हरीराम साहिब जी का 153वां वार्षिक प्राकट्य उत्सव 23 फरवरी बुधवार को मनाया गया। परंपरानुसार उत्साह एवं उमंग के साथ संपन्न हुए बाबा जी के प्राकट्य उत्सव पर संतो महापुरुषों के सत्संग प्रवचन हुए। बाबा हरीराम साहब जी की मूर्ति का अभिषेक कर विशेष श्रृंगार किया गया। उदासीनाचार्य श्री श्रीचंद्र जी महाराज, गुरुजनों की समाधि साहब, गुरुओं के आसण साहेब,चरण पादुका एवं छड़ी का पूजन किया गया। अन्नपूर्णा रथ से अन्नक्षेत्र सेवा कर निराश्रितों को पुलाव, हलवा प्रसाद का वितरण किया गया। महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन एवं संत मंडली ने पूज्य बाबा हरीराम जी की स्तुति कर *"मुहिंजों जन्म सुधारो ओ बाबा नालो मीठो तव्हांजो"* व *जन्मदिन आयो आ प्यारो प्यारो* सहित अनेक भजन गाए । भजनों में व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि जहां मीरा की भक्ति और महाराणा प्रताप की शक्ति का अद्भुत संगम है उस मेवाड़ की भूमि पर बाबा जी ने डेरा बसाया। उन्होंने बताया कि बाबा जी के अनेक आध्यात्मिक शक्तियों के धनी थे , जिनका उपयोग वे दीन दुःखियों के उद्धार के लिए करते थे। उन्होंने अनेक प्रसंग बताते हुए कहा कि बाबा जी की शक्तियों के आज भी प्रत्यक्ष प्रमाण मौजूद हैं। वे अखंड भारत के सिंध में विख्यात कर्म योद्धा एवं तपस्वी संत थे। बाबा जी के जीवन साखी पर लिखी हुई पुस्तक *सेंट ऑफ सिंध - बाबा हरिराम* जो कि अल्बर्ट लाइब्रेरी यूके एवं वाशिंगटन लाइब्रेरी में भी उपलब्ध है। बाबा जी के बताए सेवा और सुमिरन के प्रकल्प हरी शेवा में अनवरत किए जाते रहते हैं। स्वामी जी ने बाबा जी के प्रिय वचनों में से एक *"मन मंदिर तन वेस कलंदर घट ही तीरथ नावा - एक शब्द मेरे प्राण बसत है बाहुड जन्म न आवां"* का भी श्रद्धालुओं के साथ वाचन कराया। एवं सभी को सेवा व सिमरन का संकल्प दिलाया । देश विदेश में बाबाजी के अनुयायियों ने सुंदरकांड पाठ, भजन, कीर्तन, सेवा सुमिरन कर प्राकट्य उत्सव मनाया। श्रीचंद्र मात्रा साहिब पाठ, आरती, प्रार्थना पश्चात फल एवं प्रसाद वितरण हुआ किया गया। इस अवसर पर संत मयाराम, संत राजाराम, गोविंद धाम के संत किशनदास, बालक मंडली एवं श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।