’इन्दिरा गाँधी: हम क्यों याद करें’ विषयक विशिष्ट व्याख्यान
श्रीमती गाँधी में शक्ति और इच्छाशक्ति का बेजोड़ संतुलन था - अटलानी
जयपुर, 19 नवम्बर (वि.)। देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी में शक्ति और इच्छाशक्ति का बेजोड़ संतुलन था। श्रीमती गाँधी का मानना था कि सत्य और सकारात्मकता सबसे बड़ी शक्ति है। उन्होंने अपनी शक्ति, इच्छाशक्ति और देशप्रेम के बल पर ही इतने सालो देश का कुशल नेतृत्व किया। उक्त विचार सिन्धी एवं हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार भगवान अटलानी ने राजस्थान सिन्धी अकादमी द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित ’इन्दिरा गाँधी: छो याद करियूं असां’ विषयक विशिष्ट एकल व्याख्यान में व्यक्त किये।
अकादमी प्रशासक एवं जयपुर संभागीय आयुक्त दिनेश कुमार यादव ने बताया कि भगवान अटलानी ने श्रीमती इन्दिरा गाँधी से जुड़े अनेक अनछुए पहुलओं पर प्रकाश डालते हुये कहा कि श्रीमती इन्दिरा गाँधी ऐसी निडर महिला थी; जिन्होंने अनेक सामाजिक कुरीतियों के विरूद्ध खुलकर अपने विचार प्रकट किये और इनको दूर करने की दिशा में प्रभावी कदम उठाये। परमाणु विस्फोट, पाकिस्तान का विभाजन, बैंकों का राष्ट्रीयकरण, यू0एन0ओ0 में प्रतिपक्ष के नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी को नेतृत्व देना, आमजन की बैंको तक पहँुच बनाना और गरीबों को 4 प्रतिशत की दर पर सस्ते ऋण, जैसे अनेक साहसिक निर्णयों के लिये देश उन्हें सदैव याद रखेगा।