मुंहिंजो मुल्कु मुंहिंजी ज़िंदगी- श्री लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी लिखी जीवनी के सिन्धी अनुवाद का किया विमोचन
श्री लालकृष्ण आडवाणी द्वारा लिखित उनकी जीवनी का सिंधी भाषा में ‘’मुंहिंजो मुल्कु मुंहिंजी ज़िंदगी’’ नाम से अनुवाद का विमोचन उनके निवास-स्थान पर हुआ
भारत के पूर्व उप-प्रधानमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठतम नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी द्वारा अंग्रेज़ी भाषा में लिखित उनकी जीवनी ‘’माई कंट्री माई लाईफ़’’ का सिंधी अनुवाद सर्वश्री डॉ. राम जवहराणी और भगवान बाबाणी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। इस पुस्तक के विमोचन के लिए एक लघु कार्यक्रम का आयोजन दिनांक 13 मार्च को श्री आडवाणीजी के दिल्ली स्थित निवास स्थान पर किया गया जिसमें भारत के विभिन्न शहरों से क़रीब 25-30 लोग एवं स्पेन से श्री सुरेश रायसिंघाणी एवें श्रीमती निशा रायसिंघाणी मुख्य रूप से उपस्थिति हुए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यसभा सदस्य एवं सुप्रसिद्ध अधिवक्ता एवं ‘ग्लोबल सिंधी काउंसिल’ के अध्यक्ष श्री महेश जेठमलानी थे, उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि श्री आडवाणी भाजपा के भीष्म पितामह हैं, वे 14 वर्ष की आयु से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े और भाजपा (पूर्व में जनसंघ ) से उसके गठन से लेकर अब तक जुड़े हुए हैं। इस प्रकार से वे पार्टी के इतिहास पुरुष हैं। इस प्रकार की पुस्तक, जिसमें उन्होंने अपने जीवन की कहानी वर्तमान भारत के इतिहास के संदर्भ में व्यक्त की है, बहुत ही अदभुत है। उनके संस्मरणों की इस पुस्तक का हिंदी के साथ कई अन्य भाषाओं में भी अनुवाद हुआ है और इसकी 10 लाख से अधिक प्रतियां अभी तक बिक चुकी हैं।
इस कार्यक्रम में उपस्थित अंग्रेज़ी भाषा में प्रकाशित इस पुस्तक के प्रकाशक ने कहा कि इस सिंधी भाषा में अनुवाद के संस्करण की इस पुस्तक के विमोचन के बाद ही सच में श्री आडवाणी जी के संस्करणों की जीवनी का प्रकाशन आज ही वास्तविक रूप में हुआ है।
इस अवसर पर श्री आडवाणी की सुपुत्री सुश्री प्रतिभा आडवाणी ने इस पुस्तक के अनुवादक द्वय डॉ. राम जवहारानी और भगवान बाबाणी तथा प्रकाशन करने वाली वाली संस्था ‘ग्लोबल सिंधी काउंसिल’ का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि चूंकि सिंधी हमारी मातृभाषा है इसलिए श्री आडवाणी के समक्ष जब इस पुस्तक के सिंधी अनुवाद का प्रस्ताव आया तो उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इसे सिंधी लिपी में ही प्रकाशित करने हेतु अनुमति दी। उन्हें अपने सिंधी समाज तथा भाषा से बहुत प्यार है।
‘ग्लोबल सिंधी काउंसिल’ के सचिव डॉ. राम जवहराणी ने कहा कि यह पुस्तक सिंधी भाषियों के लिये गीता तुल्य है और हर सिंधी परिवार के पास यह होनी चाहिये। इस पुस्तक में अभी आठ अघ्याय हैं। उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा है कि इसके और दस अध्याय लिखे जाएं, इस हेतु श्री आडवाणी जी से अनुरोध है कि वे इस हेतु अपने संस्मरण भले ही आडियो रूप में रिकार्ड करवाकर उपलब्ध करवाएं, तो हम इस पुस्तक का दस अध्यायों वाला दूसरा अंक भी ‘ग्लोबल सिंधी काउंसिल’ की ओर से शीघ्र प्रकाशित करेंगे।
इस कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य व्यक्ति थे – पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के सलाहकार मंडल के सदस्य एवं श्री आडवाणी के बहुत ही नज़दीकी सहयोगी श्री सुधीन्द्र कुलकर्णी, जिनने मूल पुस्तक में संस्मरण लिखने में उन्हें बहुत ही सहायता की, तीन दशक से अधिक समय से श्री आडवाणीजी के निजी सचिव रहे श्री दीपक चोपड़ा, जीव सेवा संस्थान, भोपाल के सचिव श्री महेश दयारामाणी, ‘ग्लोबल सिंधी काउंसिल’ के विभिन्न शहरों से पधारे पदाधिकारी- मुम्बई, लखनऊ, पूना श्री आडवाणी के कई पुराने साथी तथा स्टाफ सदस्य उपस्थित थे।
जीव सेवा संस्थान के सचिव श्री महेश दयारामानी ने परमहंस संत हिरदाराम साहिब जी के परम शिष्य एवं उत्तराधिकारी श्रद्धेय सिद्धभाऊजी द्वारा भेजी गई पखर (शाल) एवं मिश्री श्री आडवाणी जी को भेंट की तथा उन्हें भाऊ जी का संदेश सुनाने के साथ ही जीव सेवा संस्थान द्वारा मानव सेवा हेतु की जाने वाली विभिन्न सेवाओं के बारे में जानकारी देने वाला ब्राउशर भी भेंट किया।