विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर कोटा में सिंधी समाज का भावपूर्ण आयोजन
कोटा: विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस पर 14 अगस्त को कोटा की संत कवरराम धर्मशाला में भारतीय सिंधु सभा कोटा महानगर और संत कवरराम धर्मशाला के संयुक्त तत्वावधान में एक भावपूर्ण संगोष्ठी और सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में सिंधी समाज के पदाधिकारियों, केंद्र और राज्य सरकार में कार्यरत सिंधी अधिकारियों और कर्मचारियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता गिरधारी पंजवानी ने की, जबकि मुख्य अतिथि प्रेम भाटिया, विशिष्ट अतिथि वी के गोलानी, प्रदेश सेवा प्रमुख नरेश टहिलियानी और मुख्य वक्ता के रूप में भारतीय सूचना सेवा के पूर्व निदेशक और वरिष्ठ साहित्यकार किशन रतनानी रहे।
विभाजन के दर्द और सिंधी समाज की एकता पर जोर
मुख्य वक्ता किशन रतनानी ने विभाजन की विभीषिका पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विभाजन के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि विभाजन के बाद भी सिंधी समाज ने देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और अपनी सिंधी बोली और संस्कृति को जीवित रखने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है।
रतनानी ने सात सकारों - समाज, संस्कृति, संत, संस्थाएं, भाषा, भोजन और भूषा - के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इन सात सकारों को एकजुट रखकर ही कोई भी समाज मजबूत बन सकता है। उन्होंने कहा कि सिंधी समाज इन सभी सकारों को साथ लेकर चल रहा है, जो एक सकारात्मक संकेत है।
संगोष्ठी में विभाजन की विभीषिका पर प्रस्तुति
संगोष्ठी में कोटा के डॉक्टर हर्ष राजदीप ने विभाजन की विभीषिका पर एक प्रभावशाली पावरप्वाइंट प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति ने सभी उपस्थितों को भावुक कर दिया।
समाज के प्रतिनिधियों ने रखे विचार
भारतीय सिंधु सभा कोटा संभाग प्रभारी जय चंचलानी, मातृ शक्ति संभाग प्रभारी सावित्री गुप्ता, धर्मशाला प्रबंधक समिति के अध्यक्ष गिरधारी पंजवानी, महा मंत्री प्रताप ढींगड़ा, अधिशासी अभियंता प्रकाशवीर नाथानी, श्री झूलेलाल बाल शिक्षा निधि के संस्थापक हरीश जगवानी सहित अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रखे।
उपस्थित रहे गणमान्य व्यक्ति
इस कार्यक्रम में भारतीय सिंधु सभा मातृ शक्ति संरक्षिका नम्रता रावतानी, अध्यक्ष भारती सचदेवा, महामंत्री ज्योति मलघानी, कोषाध्यक्ष कोमल बबलानी, पायल वीरवानी, मातृशक्ति, पुरुषोत्तम छाबड़िया, बसंत वलेचा सहित कई समाज बंधु उपस्थित थे।
निष्कर्ष
यह कार्यक्रम विभाजन की विभीषिका को याद रखने और सिंधी समाज की एकता को मजबूत करने का एक सार्थक प्रयास था। इस तरह के आयोजन सिंधी समाज को एकजुट रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।