तीन दिवसीय कहानी एवं कविता लेखन/प्रशिक्षण कार्यशाला प्रारंभ

तीन दिवसीय कहानी एवं कविता लेखन/प्रशिक्षण कार्यशाला प्रारंभ

जयपुर, 23 सितम्बर (वि.)। राजस्थान सिन्धी अकादमी द्वारा तीन दिवसीय सिन्धी कहानी एवं कविता लेखन/प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ आज झालाना संस्थानिक क्षेत्र स्थित अकादमी संकुल, जयपुर में हुआ।

 अकादमी सचिव योगेन्द्र गुरनानी ने बताया कि कार्यशाला का शुभारंभ माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण से किया गया। कार्यशाला के प्रथम सत्र में सिन्धी एवं हिन्दी के ख्यातनाम साहित्यकार भगवान अटलानी ने ’कहानी की रूपरेखा, क़िस्म, जुज़ा एवं कहाणी लिखने की कला’ पर विस्तार से प्रकाश डालते हुये बताया कि किसी भी सफल कहानी के लिये कहानी का शिक्षाप्रद, रोचक, विश्वसनीय एवं प्रेरक होना अति आवश्यक है। उन्होंने कहानी किस प्रकार लिखी जाये इस संबंध में प्रशिक्षर्णियों को बहुत बारीकी से समझाया और कहा कि नवोदित कहानीकारों को कहानी लिखने के मूलभूत तत्वों का ज्ञान होना चाहिये। 

 कार्यशाला के दूसरे सत्र में अजमेर की वरिष्ठ साहित्यकार डा.कमला गोकलानी ने ’सिन्धी नज़्म/कविता का मुख़्तसर इतिहास, क़िस्म, नये तजुर्बे एवं लिखने की कला’ पर बहुत विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने विशेष रूप से विभाजन बाद के मुख्य कवि, उनकी कविता के विषय, विशेषताएं और साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त कवियों की विस्तार से जानकारी दी।

 कार्यशाला के तीसरे सत्र में जयपुर के वरिष्ठ साहित्यकार डा.खेमचंद गोकलानी ने ’सिन्धी गज़ल का आग़ाज, मुख़्तसर तारीख़ एवं सिन्धी ग़ज़ल लिखने की कला’ के संबंध में विस्तार से बताते हुये कहा कि गज़ल लिखने की कला में सबसे महत्वपूर्ण मात्राओं की समझ, हर एक लाईन में एक जैसा समान वजन हो, एक-एक लाईन का आखिरी का़फीयों अर्थात् अन्त एक जैसा होना चाहिये। उन्होंने बताया कि गज़ल कम से कम 10 लाईन की होनी चाहिये। 

 कार्यशाला समिति सदस्यों डा.माला कैलाश, नन्दिनी पंजवानी एवं पूजा चांदवानी ने बताया कि कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी को सिन्धी भाषा में कहानी एवं कविता लेखन के साथ ही गज़ल लेखन तकनीक से रूबरू कराने कराना है। कार्यशाला में जयपुर के विभिन्न क्षेत्रों से आये 28 सिन्धी भाषी प्रशिक्षणार्थियों ने कहाणी एवं कविता लेखन की बारीकियों को समझा।