साहित्य इंसान में अहसास एवं उमंग पैदा करता है
सिन्धी अकादमी द्वारा मासिक अदबी गोष्ठी का आयोजन
जयपुर, 24 जुलाई (वि.)। राजस्थान सिन्धी अकादमी द्वारा झालाना संस्थानिक क्षेत्र, जयपुर स्थित अकादमी संकुल में बुधवार, 24 जुलाई, 2024 को मासिक अदबी गोष्ठी का आयोजन किया गया।
अकादमी सचिव योगेन्द्र गुरनानी ने बताया कि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती नन्दिनी पंजवानी ने की। गोष्ठी में निवाई की श्रीमती ऋचा ईसरानी ने ’हीरो शेवकाणीअ जो साहित्य में नवां मुल्ह’ विषयक आलेख में प्रो.शेवकानी के सिन्धी साहित्य में दिये योगदान को रेखांकित करते हुये बताया कि उनका विचार था कि साहित्य इंसान में अहसास एवं उमंग पैदा करता है इसलिये साहित्य इंसानी रिश्तों का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
श्रीमती कविता सचदेव ने ’सिन्धी शार्ट फिल्मुनि सां सिन्धी संस्कृतिअ जो वाधारो’ विषयक आलेख में सिन्धी शार्ट फिल्मों से सिन्धी संस्कृति के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। श्री डी.डी.ईसरानी ने अपनी नई कविता ’उहो सिन्धी किथे आ’ प्रस्तुत की। डा.पूनम केसवानी ने ’सिन्धियत जे वाधारे में सिन्धी नृत्य नाटिकाउनि जो योगदान’ विषयक आलेख में बताया कि नृत्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं है बल्कि लोकनृत्य एवं संगीत सिन्धियत को जिन्दा रखती है।
श्रीमती हर्षा पंजाबी ने ’सिन्धी भाषा जी बियुनि भाषाउनि सां मुशाबहित डा.मुरलीधर जेटले’ विषयक आलेख में सिन्धी भाषा की अन्य भाषाओं से बराबरी-समानता पर विस्तार से प्रकाश डाला। श्रीमती प्रिया ज्ञानानी ने अपनी नई कविता ’कोन सरे’ प्रस्तुत की। श्री चित्रेश रिझवानी ने ’बर्खु कवि परसराम जिया जो रचना संसार’ विषयक आलेख सदाहयात कवि परसराम जिया द्वारा सिन्धी भाषा एवं साहित्य में दिये गये योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला।
गोष्ठी में वरिष्ठ साहित्यकार डा.खेमचंद गोकलानी, नन्दिनी पंजवानी, डा.माला कैलाश, पूजा चांदवानी, पार्वती भागवानी, गोपाल, हेमनदास, मधु कालानी, वंदिता आहूजा, महेश किशनानी, मनोज आडवानी, पायल गोलानी, कविता इसरानी तथा सिन्धी भाषी साहित्यकार, पत्रकार, अकादमी के पूर्व सदस्य एवं समाज के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
गोष्ठी के अंत में सुप्रसिद्ध गायक, कलाकार एवं फिल्मकार स्व.दादा सतराम रोहिडा के आकस्मिक निधन पर मौन श्रद्धाजंलि अर्पित की गई। गोष्ठी का संचालन श्रीमती पूजा चांदवानी ने किया। अकादमी सचिव से सभी आगन्तुकों का आभार प्रकट किया।